CAA से मुसलमानों पर क्या फर्क पड़ेगा?

सीएए कानून से मुसलमानों की नागरिकता पर कोई खतरा नहीं । हिन्दुस्तान में मुसलमानों के अधिकारों पर रंच मात्र भी असर नहीं पड़ेगा । मुसलमान भारतवर्ष के उतने ही नागरिक हैं , जितने हिन्दू हैं । भारत के मुसलमानों से न तो कोई कागज मांगा जाएगा और न ही उनसे कोई पूछताछ होगी ।

सीएए का मतलब है सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट । सीधा मतलब यह कि 15 अगस्त 1947 से 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान , बंगलादेश और अफगानिस्तान से जितने भी हिन्दू ,ईसाई , पारसी , बौद्ध , सिक्ख और जैन शरणार्थियों के रूप में भारत में आकर बसे हैं , उन सभी को भारतीय नागरिकता सम्मानपूर्वक प्रदान की जाएगी । धर्म के आधार पर बने पाकिस्तान और बांग्लादेश से जितने मुस्लिम भारत आए हैं , उन्हें उनके देशों को वापस भेजा जाएगा । इसी तरह रोहिंज्ञाओं की भी छंटाई होगी । अभी केवल सीएए लागू किया गया है , एनआरसी फिलहाल लागू नहीं की जाएगी ।

सीएए के बारे में सरकार चार साल पहले भी साफ साफ कह चुकी है कि यह कानून नागरिकता देने का कानून है , लेने का नहीं । नागरिकता एक्ट लाने की आवश्यकता तब महसूस हुई , जब पता चला कि योजनाबद्ध ढंग से अनेक राज्यों की कास्ट डिमोग्रेफी बहुत तेजी से बदल दी गई है । इन राज्यों में असम , त्रिपुरा और बंगाल सर्वाधिक प्रमुख हैं ।

हाल ही में पता चला है कि उत्तराखंड के हरिद्वार सहित सीमांत जनपदों और गुजरात के द्वारिका तथा समुद्र तटीय जनपदों की डेमोग्राफी भी बड़ी तेजी से बदली है । नागरिकता एक्ट सीएए की सर्वाधिक जरूरत बंगाल , असम और त्रिपुरा को है । इनके जरिए फर्जी वोट बैंक बनाया गया है , अतः ममता इसका विरोध कर रही हैं । जबकि असम और त्रिपुरा के सीएम इसका भरपूर समर्थन करते हैं ।

संसद ने इस एक्ट पर 2019 दिसंबर में ही सर्वसम्मत मुहर लगा दी थी । देश में प्रदर्शनों और फिर कोरोना काल आ जाने के कारण राष्ट्रपति के हस्ताक्षरों के बावजूद इसे लागू नहीं किया जा सका । सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंतिम दिनों में कल शाम सीएए लागू हो गया । यह अच्छी बात है कि देश में कोई बवाल नहीं हुआ । नागरिकता कानून की असलियत धीरे धीरे सब समझ जाएंगे ।

जयराम रमेश , अखिलेश , ममता आदि दो चार नेताओं के एक्स पर आए ट्वीट के अलावा सर्वत्र शांति होना बहुत अच्छे संकेत हैं । सीएए उन लोगों को नागरिकता देने का कानून है , भारत के अलावा जिनका कोई देश नहीं । शरणार्थी सारी दुनिया की समस्या हैं । सभी देश केवल अपनों को नागरिकता देते हैं , शेष को उनके वतन लौटा देते हैं । भारत भी समय समय पर अवैध रूप से आए बांग्लादेश , म्यामार , अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मुस्लिमों को उनके वतन लौटाने जा रहा है ।

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