शादी के कुछ दिनों बाद ही पति मेरे सरकारी आवास में शिफ्ट हो गए।
सास ससुर भी उसी शहर में रहते थे किंतु घर बहुत छोटा होने की वजह से ये इंतेज़ाम किया गया।
आपस में मिलना जुलना ,खाना पीना बराबर चलता रहता था। मेरे घर किटी पर मैंने सासू मां को भी बुलाया।
अपनी सभी सहेलियों से उनका परिचय” ये मेरी मदर-इन-ला हैं” कह कर करवाया।
सासू माँ सबसे मिलकर बहुत खुश हुईं।
अगले हफ्ते उन्होने घर में कीर्तन रखा था जिसे वे कीर्तन किटी कहतीं थीं।
पहले कीर्तन फिर खाना पीना। कीर्तन के बाद उन्होंने अपनी सहलियों से मेरा परिचय करवाया” ये मेरी डॉटर है”।
एक ने पूछा,”डॉटर इन ला?”।उन्होंने कहा–नहीं, डॉटर”।
इन दो शब्दों ने मेरी ज़िंदगी बदल दी।
उस दिन के बाद घर में एक ही रिश्ता चला… माँ बेटी का और मेरी ज़िद पर सब बड़े दिल वाले लोग इकट्ठे रहने लगे….. छोटे से घर में।
शादी के बाद बहू के लिए सासू मां ही होती है मां,
मायके में जो शिक्षा का बीज है बोती, बहू की मां,
उसी शिक्षा को प्यार से पेड़ बनाती है सासू मां।
A daughter-in-law mqy be perfect by herself.
A beautiful mother-in-law may help her be one.